raksha bandhan par nibandh
भूमिका
भाई बहन का प्यार बँधा है, कोमल धागों के बंधन में।
धागों में विश्वास बँधा है, जैसे वास बसे चंदन में।।
रक्षाबंधन हिंदुओं का एक विशिष्ट त्यौहार है। यह त्यौहार भाई-बहन के आपसी प्रेम, स्नेह और रक्षा वचन का प्रतीक है। रक्षाबंधन का त्यौहार पूरे भारत वर्ष में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्यौहार पवित्रता और उल्लास का त्यौहार है।
raksha bandhan par nibandh
पवित्र प्रेम का त्यौहार
इस त्यौहार को अब हिंदुओं के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी मनाना शुरू कर दिया है। क्योंकि यह त्यौहार धर्म और संबंध की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। धर्म की दृष्टि से यह गुरु-शिष्य परंपरा को प्रतिपादित करने वाला है। जबकि संबंध की दृष्टि से यह त्यौहार भाई-बहन के परस्पर प्रेम संबंध को व्यक्त करता है। इस दिन बहनें भाईयों के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है और उसे राखी बाँधती है। भाई भी हर परिस्थिति में अपने बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं। इस प्रकार रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र प्रेम और स्नेह का त्यौहार है।
धार्मिक कथा
विष्णु पुराण के अनुसार जब भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लिया था। तब वामन ने दानी महाराज बलि से तीन पग धरती दान स्वरूप माँगी ली थी। फिर भगवान वामन ने संपूर्ण धरती को एक पग में नाप लिया और राजा बलि को पाताल लोक में भेज दिया। इस कथा में कुछ धार्मिक भावनाओं को जोड़ते हुए रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाने लगा। परिणामस्वरूप आज भी ब्राह्मण अपने यजमानों से दान लेते हैं और उनको रक्षा-सूत्र बाँधते हैं। इस रक्षा-सूत्र बंधन के द्वारा उन्हें विविध प्रकार के आशीर्वाद भी देते हैं। इस पावन विचारधारा से प्रभावित होकर लोग ब्राह्मणों का मान-सम्मान और प्रतिष्ठा व्यक्त करते हैं।
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ऐतिहासिक कथा
ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस त्यौहार की महानता है। जब गुजरात के शासक बहादुरशाह ने मेवाड़ की महारानी कर्मवती पर 1535 ई. में आक्रमण कर दिया, तो उसने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगल बादशाह हुमायूं को रक्षाबंधन का सूत्र भेजा और अपनी सुरक्षा के लिए उसे भाई शब्द से संबोधित करते हुए याचना की। बादशाह हुमायूं रक्षा-सूत्र स्वीकारते हुए मेवाड़ की रक्षा के लिए विशाल सेना लेकर कर्मवती के पास पहुँच गया।
यह पर्व प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर, उनकी आरती उतारकर हाथों की कलाइयों में राखी बाँधती है और मिठाई खिलाती है। भाइयों के लंबे उम्र की ईश्वर से प्रार्थना करती है और अपनी रक्षा का वचन लेती है। रक्षा-सूत्र बाँधने पर अपनी बहन को सभी भाई कुछ उपहार भेंट करते हैं। इस पर्व पर सभी नये-नये कपड़े पहनते हैं।
निष्कर्ष
रक्षाबंधन का त्यौहार एक ऐसी प्रथा है, जो हमें परस्पर एक-दूसरे से जोड़े रखती है। इसलिए इसे आज भी सब बड़ी धूमधाम और पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाते है। अतः यह स्पष्ट है कि रक्षाबंधन का यह पावन पर्व हमें रिश्तो का मान करना सिखाती है ताकि हम कमजोरों की रक्षा कर सकें।